जिन हाथों ने पाला मुझको , उनको अकेला छोड़ दिया तुम बिल्कुल अनजाने थे , पर तुम से रिश जिन हाथों ने पाला मुझको , उनको अकेला छोड़ दिया तुम बिल्कुल अनजाने थे , ...
इतने लालों की माई मैं, क्यों इतनी असहाय पड़ी। इतने लालों की माई मैं, क्यों इतनी असहाय पड़ी।
आज नहीं तो कल ही सही, कहीं न कहीं तो मिल ज्याएगी ए दुनिया ! आज नहीं तो कल ही सही, कहीं न कहीं तो मिल ज्याएगी ए दुनिया !
लिख सकता है ग्रंथ उसके चरित्र के बारे में । लिख सकता है ग्रंथ उसके चरित्र के बारे में ।
फिर भी मैं "पराई" ? फिर भी मैं "पराई" ?
कभी बजती नहीं बधाई कभी बजती नहीं बधाई